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30 days festival - ritual competition -21-Oct-2022 ( 4 ) होली




शीर्षक  = होली



दशहरे की तरह होली का त्यौहार भी  बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है , और बताता है  की अगर ईश्वर में आस्था अटूट हो तो वो अपने ऐसे भक्त और बन्दे को कभी भी किसी हाल में अकेला नही छोड़ता जो उसे हर हाल में पुकारता है 

इसी तरह भक्त  प्रहलाद को भी जब हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका ज़ब उन्हें अपनी गोद में बैठाकर आग में बैठ जाती है  लेकिन भक्त प्रहलाद की भगवान विष्णु में अटूट आस्था ने उस आग में बैठी होलिका को जला दिया किन्तु भक्त प्रहलाद बच जाते है , और इसी तरह एक बार फिर  बुराई का खात्मा कर अच्छाई की जीत हो जाती है ।


इसलिए हर  साल  वसंत ऋतु में  इसे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है , ये हिंदुस्तान में ही नही बल्कि हमारे पडोसी देश नेपाल और साथ साथ जहाँ भी  सनातन धर्म को मानने वाले लोग रहते है , वहाँ वहाँ इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है, क्यूंकि इस दिन बच्चें हो या बुजुर्ग सब लोग मिलकर एक दूसरे को रंग और ग़ुलाल लगा कर होली का आनंद लेते है.


इस दिन दुश्मन भी अपनी दुश्मनी भूल कर एक दूसरे को रंग लगाकर होली का जश्न मनाते है ।


सुबह भोर होने से दोपहर बारह बजे तक लोग एक दूसरे को रंग लगा कर होली का आनंद लेते है , इसी के साथ साथ होली के गीत भी बजते दिखाई पड़ते है ।

बहुत से लोग भांग वाला दूध जिसे ठण्डायी कहते है  और भांग के बने लड्डू खा कर खूब सब का मनोरंजन करते है ,


इसी के साथ  दोपहर बाद सब लोग नहा धोकर  अपने दोस्त और रिश्तेदारों के घर मिलने जाते है , हम भी दोपहर होने का इंतज़ार करते थे  😂 ताकि अपने दोस्तों के घर जाकर गुजिया, हाथ से बनी नमकीने, और भिन्न भिन्न तरह के पकवान खा सके  जो उनकी माँ बहनों ने अपने हाथो से बनाये होते है , होली पर बनने वाली गुजिया का स्वाद लाजवाब होता है , मेरी नज़र में सारी मिठाई एक तरफ और होली पर बनने वाली गुजिया एक तरफ दोनों का कोई मुकाबला नही।


वैसे तो त्यौहार का मतलब एक दूसरे के साथ अपनी ख़ुशी साँझा करना होता है , लेकिन कभी कभी बहुत से लोग त्यौहार की ख़ुशी में इस तरह से पागल से हो जाते है , कि उन्हें पता नही रहता कि उनकी ज़रा सी गलती बहुत बड़ी वारदात अंजाम दे सकती है 


ये एक सच्ची आँखो देखी तो नही कह सकता क्यूंकि उस समय मैं बहुत छोटा था, लेकिन सच है 


ये बात है  आज से बहुत साल पहले कि, ऐसे ही होली का त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा था , चारो और से होली के गानो कि आवाज़े आ रही थी ,हमारा शहर होली के ग़ुलाल से रंग चुका था।

लेकिन तब ही चारो और भगदड़ मचने की खबर गूँज उठी , हम सब छोटे थे  इसलिए घर में छिप गए थे , जब बड़े लोग घर आये तो पता चला  की हमारे शहर में रहने वाले दो समुदाय जिनमे से एक गुज़ज़र और दूसरे  जिनका पेशा जूतिये टांकने का था , वो आपस में भिड़ गए  क्यूंकि गुज़ज़रो के नौजवान लड़को ने नशे में धुत होकर दूसरे जात वालो की लड़की को जबरदस्ती ग़ुलाल लगा दिया, उनकी इस हरकत ने तो मानो पूरे शहर में अफरा तफरी करदी, ख़ुशी का माहौल पल भर में जंग का आखाडा बन गया था ।


जब तक पुलिस मोके पर पहुंची तब तक बहुत देर हो चुकी थी , जो होली अब तक रंग और ग़ुलाल से खेली जा रही थी, वो होली खून से खेली जा चुकी थी। और देखते ही देखते पूरा शहर दहशत की ग्रफ्त में आ गया था, आता भी क्यू नही एक साथ तीन तीन जवान लड़को की हाथयाये हुयी थी, पल में सारी त्यौहार की खुशियाँ मातम में बदल गई थी।


आज इतने साल बाद भी ज़ब ज़ब होली आती है, तब तब ख़ुशी के साथ साथ उस खौफनाक दिन को याद कर सब की रूह कांप सी जाती है। जहाँ तक मुझे याद है आज भी उनकी माये होली नही मनाती है, अपने बेटों के जाने के गम में।



30 days festival / ritual competition 

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5 Comments

Bahut khoob 🙏🌺

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Supriya Pathak

21-Oct-2022 05:39 PM

Bahut khoob 💐👍

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🫤🫤होली का क्या ही जिक्र करू हमारे मोहल्ले में तो शादीसुदा लोग पीकर फिर चाहे आँटी हो या अंकल ऐसा बेढंगापन करते है क्या कहूँ। पर आपने कहानी का जिक्र अच्छे से किया है।👍🏻

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